Friday, September 22, 2017
शक्ति को रौंदने वालों को हक नहीं मां की भक्ति का
शक्ति की उपासना के पर्व नवरात्रि आरंभ हो चुकी है। नौदिनों तक मां दुर्गा की विधि - विधान से पूजा अर्चना की जाएगी। जगह -जगह पांडाल व झांकियां सजेगी, गरबा व डांडिया रास होंगे, कन्याभोज व भंडारे का आयोजन किया जाएगा। नौदिनों तक उल्लास का माहौल रहेगा। हम हर वर्ष मां आदिशक्ति की उपासना में कोई कसर नहीं छोड़ना चाहतेलेकिन कहीं न कहीं हम उपरी आडंबर यह भूल जाते हैकि नवरात्रि आंतरिक उपासना का भी पर्व है। हमारे देश में शक्ति स्वरूपा मां दुर्गा की आराधना पूरी आस्था सेकी जाती है लेकिन आज भी शक्ति का ही स्वरूप महिलाएंअपने वजूद को तलाश रही है। मां के ही स्वरूप में आने वाली नन्हीं कलियों को बेरहमी से आज भी हमारे समाज में रौंदने वालों की कमी नहीं है। मासूम बच्चियोंसे लेकर सशक्त नारी तक कोई सुरक्षित नही ंहै। अब पापों का घड़ा भर चुका है क्योंकि पिता ही बेटी की अस्मत लूट रहे है। हमारे समाज में महिलाएं बेझिझक, निडर होकर आज भी नहीं जा पाती हैमहिला सुरक्षा जैसेगंभीर मुद्दे पर कोई कारगर कदम नहीं उठा पाया है। भ्रूण हत्याएं जारी है, नवजात बच्चियां मृत मिल रही है। आज भी समाज में बेटों की चाह कायम है यहीं नहीं पुरूषों के अलावा महिलाएं ही महिलाओं की दुश्मन है क्योंकि आज भी उनके मन में लड़का - लड़की का भेद याथावत हैऔर लड़का ही वंशवृद्धि का ध्योतक है। यूं तो बडे से बड़ा गुनहगार भी मां का भक्त हो सकता है लेकिन मेरी नजर में लड़कियों को हिकारत से देखने वाले, नवजात बच्चियों को कचरे केढेर में फेंक कर उन पर पत्थर रखने वालों को हक नहीं है कि वे मां की आराधना करे, किसी मासूम बच्ची या महिला को बुरी नजर से देखने वाले को हक नही ंहै कि वह मां की मूर्ति की आंखों में आंखे डालकर देखे, किसी दुष्कर्मी को हक नहीं है कि वह मां के पांडाल केसमीप तक जाएं, कोख में की बेटी को मारने वाले को मां की उपासना का हक नहीं दिया जा सकता। इसी तरह चलोंअब एक लड़का और हो जाएं तो अच्छा ऐसे कहने वालो कोभी एक बार अपने अंदर से इस भेद को मिटाकर ही मां के आगे शीश नवाना चाहिए ।
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