Friday, April 3, 2020
डाॅक्टरों से बदसलूकी - '’ष’र्मनाक...... षर्मनाक ....षर्मनाक ....
कोरोना के कहर से दुनिया कराह रहीं है। इस समय दुनियाभर के लिए यदि कोई आषा की किरणें हैं तो वह डाॅक्टर और पैरामेडिकल स्टाॅफ ही है। दुनिया को उनका षुक्रगुजार होना चाहिए कि अपनी जान व अपने परिवार की फिक्र किए बिना यह लोग निःस्वार्थ भाव से कोरोना पीड़ितों की सेवा में जुटे हुए है। इनकी जितनी प्रषंसा की जाएं कम है ऐसे मुष्किल वक्त में हमें भी अपनी जिम्मेदारियों से भागना नहीं चाहिए। इस समय देष में 2 हजार से अधिक मरीज कोरोना पाॅजिटिव है। देष के सभी राज्यों में कोरोना से मरीजों के संक्रमित होने का सिलसिला जारी है। सभी स्थानों पर सरकारी अस्पतालों में डाॅक्टर संसाधनों के अभाव से जूझते हुए अपनी परवाह किए बिना सेवाएं दे रहे है। ऐसे माहौल में यदि उनके उपर पथराव करने व धूकने जैसी अमानवीय घटनाएं देखने को मिले तो खून खौल उठता है उन लोगों के खिलाफ जो इस तरह की घटनाओं को अंजाम दे रहे है। मध्यप्रदेष के सफाई में नंबर वन षहर इंदौर से डाॅक्टरों के खिलाफ दो षर्मनाक घटनाएं सामने आई है। जिनमें एक घटना टाट पट्टी बाखल इलाके की है जहां के अब्दुल हामीद की कोरोना से मौत हो जाने के बाद स्वास्थ्यकर्मी उनके परिजनों को ले जाने और उस क्षेत्र के लोगों की जांच करने आई थी । इस दौरान लोगों ने स्वास्थ्य कर्मियों पर पथराव कर दिया कई लोगों ने मिलकर उन पर हमला बोल दिया । एक स्वास्थ्यकर्मी के मुताबिक वे बमुष्किल वहां से बचकर निकल पाएं नही तो ये लोग इनकी जान ले लेते। वहीं दूसरी घटना इंदौर के ही रानीपुरा की है जहां स्वास्थ्यकर्मियों पर धूकने की घटना हुई थी। जो लोग आपको जिंदगी दे सकते है उनकी जान से यदि इस तरह से खिलवाड़ करना किसी भी रूप में उचित नहीं है। हालांकि राज्य सरकार ने इन दोनों मामलों में आरोपियों पर कार्यवाही करते हुए पहली घटना में आरोपियों पर रासुका और दूसरी घटना में संबंधितों पर एफआईआर दर्ज की गई है। वहीं यूपी के गाजियाबाद में तब्लीगी जमात के कोरोना पाॅजिटिव छह मरीजों ने नर्सो के साथ गलत व्यवहार किया। जानकारी के मुताबिक यहां इन मरीजों ने नर्सो के सामने कपड़े उतारे और अष्लील हरकते की। अगर इस तरह से यह मरीज उन लोगों के साथ बर्ताव करेंगे जो आपको जिंदगी दे रहे है तो यह कतई सहन नहीं किया जा सकता। आखिर ये स्वास्थ्य कर्मी दिन रात किसकी सेवा में लगे हुए है ऐसे में इनके साथ इस तरह का अमानवीय व्यवहार मानवीय गुण को नहीं दर्षाता । इस समय हर जिम्मेदार नागरिक का यहीं फर्ज बनता है कि डाॅक्टरों व स्टाॅफ का भरपूर सहयोग किया जाएं । एक तरफ कोरोना का कहर वहीं दूसरी ओर मरीजों के जानवर नुमा व्यवहार के बीच स्वास्थ्यकर्मियों की सेवाएं अनवरत जारी हैै ।
संसाधनों के अभाव में सेवाएं देे रहे डाॅक्टर
कोरोना पाॅजिटिव मरीजों के बीच में दिन रात रह रहे हमारे डाॅक्टरों के पास पर्याप्त संसाधन भी नहीं है। 30 मार्च को टाइम्स आॅफ इंडिया की खबर के मुताबिक कोलकाता में डाॅक्टरों को रेन कोट दे दिए गए। वहीं कई जगहों पर (पीपीई प्लास्टर प्रोटेक्षन ) की गुणवत्ता कहीं से भी संतोषजनक नहीं है। देष भर में करीब 3.5 लाख पीपीई है अब देषभर से इसकी कमी का षोर सामने आने लगा है। मध्यप्रदेष सरकार भी संसाधनों को जुटाने में प्रयासरत है लेकिन यहां भी संसाधनों की कमी साफ जाहिर है। प्रदेष भर में जहां 900 वेंटीलेटर है वहीं 7.5 करोड़ की आबादी में तमाम सरकारी व गैर सरकारी अस्पतालों को मिलाकर सिर्फ 1200 बस्तर है। करीब 16709 पीपीई है वहीं एन- 95 मास्क 74,380 है जबकि थ्री लेयर मास्क 5 लाख के आसपास है। यानि डाॅक्टर व पैरामेडिकल स्टाॅफ अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाने में जुटे हुए है। तमाम परेषानियों से जुझते हुए वे अपनी सेवाएं दे रहे है। यदि डाॅक्टरों की सेफ्टी नहीं होगी तो उनकी जान पर खतरा मंडराता रहेगा। इसी का परिणाम है कि देष में करीब 54 डाॅक्टर कोरोना पाॅजिटिव पाएं गए है। वहीं अकेले इटली में 50 से अधिक डाॅक्टरों की मौत हो चुकी है और 7 हजार से अधिक हेल्थ वर्कर संक्रमित है। इस समय हमें अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए डाॅक्टरों की मदद करना चाहिए।
तब्लीगी जमात की जहालत
निजामुद्दीन के मरकस में तब्लीगी जमात के लोगों ने जो कांड किया उसका खामियाजा पूरा देष भुगत रहा है। अभी भी ये लोग देष के अलग -अलग हिस्सों में जाकर छुपे हुए है । स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी प्रेस काॅफ्रेंस में कहा गया कि तब्लीगी जमात से जुड़े लोगों के 48 राज्यों में होने की संभावना है । जमात के करीब 647 लोग कोरोना पाॅजिटिव पाएं गए है। इस मुष्किल घड़ी में तब्लीगी जमात ने जो कारनामा किया है उसका अंजाम पूरा देष भुगत रहा है विडंबना यह है कि इनके लोग इलाज में स्वास्थ्य कर्मियों की मदद भी नहीं कर रहे है। वहीं देष के अलग - अलग हिस्सों में अभी भी ये लोग छुपे हुए है। तमाम राज्यों के प्रषासन स्तर पर उन्हें खोजने का प्रयास जारी है । ऐसे में साफ जाहिर है कि लोग जानबूझकर खुद को छुपाकर दूसरों को भी संक्रमित करना चाहते है। ऐसा करके कहीं न कहीं यह देष द्रोही कहलाने का काम कर रहे हैै । यदि ये लोग सच्चे देष भक्त होते तो छुपने के बजाए खुद बाहर आकर अपना टेस्ट करवाते और इस मुष्किल घड़ी में डाॅक्टरों की मदद करते । पुलिसकर्मियों को बरगलाने के बजाएं खुद अपनी पहचान बताते और जो अन्य लोग मौजूद थे उनकी भी जानकारी देते । इन लोगों को पकड़ने के बाद इन पर आपराधिक केस दर्ज करना चाहिए इन्हें आसानी से नहीं छोड़ना चाहिए ताकि इन जैसों को कुछ तो सबक मिल सकें।
अन्य गंभीर बीमारियों के मरीजों की आफत
कोरोना से चल रहीं इस जंग के बीच वे मरीज आफत में आ गए है जो कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों से लड़ रहे है। कैंसर के इलाज के दौरान डाॅक्टर मरीज को लगातार आने की सलाह देते है इलाज को रोकना कैंसर के मरीज के लिए घातक साबित हो सकता है। ऐसे में जब बस , ट्रेन व प्लेन सभी आवागमन के साधन बंद है तो ऐसे में मरीजों का बाहर से आना संभव नहीं है। ऐसे में कैंसर के मरीज जहां है वहीं अपना इलाज करा सकते है। हालांकि आपातकालीन सेवाएं जारी है लेकिन ऐसे में कैंसर के अन्य मरीजों के लिए परेषानियां बढ़ती जा रहीं हैै क्योंकि उनकी कीमोथैरेपी में गैप करना रोग को बढ़ाने जैसा ही है। लेकिन कैंसर के मरीज का कोरोना के संपर्क में आना उनके लिए और घातक सिद्ध हो सकता है। ऐसे में उन मरीजों के डाॅक्टरों का फर्ज है कि उन्हें फोन के जरिए ही जितनी हो सके जानकारी दी जाएं और इस समय वे किस प्रकार अपने इलाज को आगे बढ़ाएं इसकी भी जानकारी देना चाहिए। हालांकि प्रत्येक कीमोथैरेपी से पहले मरीज के कई ब्लड टेस्ट होते है लेकिन इस माहौल में जितना संभव हो डाॅक्टरों को अपने इन मरीजों का भी ध्यान रखना होगा।
ताली और दिए के बजाए संसाधनों दरकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना के कर्मवीरों के लिए पहले ताली और अब दिया जलाकर हौसला अफजाई करने को कहा है। इसके बजाएं इस समय इन कर्मवीरों को संसाधनों की अधिक दरकार है। अपनी जान को दांव पर लगाकर ये दिन - रात कोरोना मरीजों को ठीक करने में जुटे हुए है। इस समय उनका हम रोज भी सम्मान में कुछ न कुछ करें तो कम होगा बजाएं इसके इस वक्त उन्हें जिन संसाधनों की दरकार है। सरकार से निवेदन है कि उस दिषा में तीव्र गति से काम करने की दरकार हैै ताकि डाॅक्टर्स व पैरामेडिकल स्टाफ अपनी पूरी सुरक्षा के साथ इन मरीजों के इलाज में जुटे । असुरक्षा के माहौल में डाॅक्टर्स खुद संक्रमित होते जा रहे है ऐसे में कहीं यदि अस्पतालों को डाॅक्टरों के लिए आइसोलेट करना पड़ जाएं तो आम मरीजों का इलाज कहा होगा । इस समस्या से बचने के लिए जरूरी है कि जल्द से जल्द डाॅक्टरों को अच्छी गुणवत्ता के सुरक्षा कवज मुहैया कराएं जाएं ताकि वे सुरिक्षत होकर कोरोना के मरीजों को सुरक्षित रखने का काम करें।
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