Wednesday, June 7, 2023

झकझौरता है महिला पहलवानों का न्याय के लिए संघर्ष

झकझौरता है महिला पहलवानों का न्याय के लिए संघर्ष विदेषों में भारत की ष्षान बढाने वाले हमारे खिलाडियों के साथ सरकार ने जैसा भद््दा व्यवहार किया उसे हम सभी को याद रखना चाहिए और वक्त आने पर सरकार को इसका जवाब देना चाहिए। महिनों तक तपती धूप में हमारे खिलाडी टैंट लगाकर न्याय की आस में बैठे रहे एक ऐसे बाहुबली नेता के खिलाफ जिसके खिलाफ पहले से ही डकैती, मर्डर, चीटिंग , जालसाजी और भूमाफिया जैसे संगीन अपराध के 38 से ज्यादा मामले दर्ज है। इस नेता के खिलाफ जब महिला पहलवानो ने यौनषोषण मामले की एफआईआर दर्ज कराना चाहा तो पुलिस ने एफआईआर तक दर्ज नहीं की, सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने के बाद एफआईआर हो पाई थी। इस बात को कभी नहीं भूलना चाहिए जब इन अंतराष्ट्रीय खिलाडियों को इतनी यातना सहनी पडी तो एक आम लडकी होती तो कभी बाहर आ ही नहीं पाती। ऐसी है हमारी पुलिस व्यवस्था और न्याय प्रक्रिया । अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस में सांसद बृजभूषण सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर की विस्तृत खबर छपने के बाद उसके पाठकों तक सच्चाई पहुंची। इस रिपोर्ट को पढकर कोई भी इस मामले पर निष्पक्ष जांच की मांग करेगा। रिपोर्ट में ऐसी - ऐसी बातें है कि आप लडकियों के संघर्ष को समझ पाएंगे। पहलवानों के समर्थन में अभिनव बिंद्रा और नीरज चोपडा ष्षुरूआत से ही है लेकिन 1983 विष्वकप विजेता टीम के खिलाडियों ने संघर्षरत खिलाडियों को समर्थन देकर जता दिया है कि अभी इंसानियत मरी नहीं है और एक चैंपियन टीम खिलाडियों के दर्द को समझती है। वहीं भारत रत्न सचिन तेंदुलकर, महेंद्र सिहं धोनी, विराट कोहली जैसे खिलाडियों ने पहलवानों के पक्ष में अभी तक कोई बात नहीं रखकर निराष ही किया है। ब्रजभूषण सिंह के खिलाफ दर्ज एफआईआर में खिलाडियों के बयान के साथ कोच, रेफरी और परिवारजनों की गवाही भी है षिकायत से स्पष्ट है कि यौन उत्पीडन के मामलों की जानकारी खेल मंत्री और प्रधानमंत्री को भी दी गई थी। इतना कुछ इस मामले में दबा हुआ था और मीडिया पहलवानों ही गलत साबित करने में लगा हुआ था। यहीं नहीं जब पुलिस ने जंतर - मंतर से खिलाडियों के धरने को जबरन खत्म करवाया तो कई मीडिया संस्थानों और अखबारों ने ऐसे प्रचार किया जैसे खिलाडियों ने स्वेच्छा से धरना खत्म किया है। अब जब खिलाडी थककर अपनी ड्यूटी पर लौट गए है तो उनका माखौल उडाया जा रहा है। इसके विपरीत खाप नेताओं ने उनका साथ दिया जब खिलाडी अपनी कोषिषों से हारकर अपना मेडल गंगा में प्रवाहित करने जा रहे थे तब राकेष टिकैत ने आगे आकर उनका साथ दिया और मेडल प्रवाहित होने करने से रोका, क्या सरकार का कोई भी मंत्री एक ट्वीट कर खिलाडियों को कम से कम मेडल प्रवाहित करने से रोक नहीं सकता था। जब खिलाडी यहीं मेडल जीतकर लाएं थे तब प्रधानमंत्री जी ने उनके साथ अपनी ली गई फोटो सांझा करने में देर नहीं की थी तो क्या अब प्रधानमंत्री जी की जिम्मेदारी नहीं बनती थी कि कम से कम उन्हें आष्वासन देते हुए एक ट्वीट ही कर देते, जबकि यौनषोषण के संबंध में प्रधानमंत्री जी को पहले से ही जानकारी थी बावजूद इसके प्रधानमंत्री जी पहलवान बेटियों के पक्ष में एक बात भी नहीं कह सकें और अपने आरोपी सांसद को संसद के नए भवन के उदघाटन कार्यक्रम में बुलाकर उनके साथ होने का सबूत देते रहे। बेटी बचाओ - बेटी पढाओं का नारा देने वाली सरकार के मुखिया ने बेटियों को बचाने के लिए आगे कदम ेक्यों नहीं बढाएं आखिर किस ताकत ने उनके कदम पीछे खींच दिए? साफ है कि जब इतनी स्पष्टता होने के बावजूद इन अंतराष्ट्रीय खिलाडियों को न्याय नहीं मिल पा रहा है तो बेटियों की सुरक्षा के लिए गढे जाने वाले सरकारी बयान सिवाए जुमले के और कुछ नहीं है। लेखक और वकील विराग गुप्ता ने दैनिक भास्कर में अपने लेख में जो लिखा है वह बिल्कुल सही है कि ब्रजभूषण सिंह की गिरफ्तारी नहीं होने से साफ है कि सरकार के हाथ कानून से भी लंबे है।