Wednesday, January 10, 2018

दर्दनाक हादसे लेकिन बेपरवाह जिम्मेदार

वर्ष की शुरूआत भयानक सड़क हादसों से हुई है, जिनमें मासूमों को जान गंवानी पड़ी है। 6 जनवरी शनिवार को इंदौर के दिल्ली पब्लिक स्कूल की बस का भयानक एक्सीडेंट हुआ, जिसमें चार मासूम बच्चों की मृत्यु को गई। इस दर्दनाक हादसे ने कई परिवारों की खुशियां छीन ली बदहवास परिजन अपने बच्चों के लिए बिलख रहे है। वहीं दूसरी ओर यह यक्ष प्रश्न हम सभी के सामने खड़ा है कि क्या हालात सुधरेंगे क्योंकि सभी के बच्चे वेन और स्कूल बसों से स्कूल काॅलेज जाते है। इतने बड़े हादसों के बाद भी मात्र जिम्मेदारी तय करने जैसे दिखावा होता है। जब तक मामला मीडिया में सुर्खियों में रहता है बस तभी तक उस पर बहस व बात होती है। उसके बाद कोई झांकने वाला नहीं होता है। इस मामले में भी गलती कई स्तरों पर हुईहै जिसका खामियाजा मासूम बच्चों को भुगतना पडा है। बस की फिटनेस को लेकर जहां स्कूल प्रबंधन ने लापरवाही की वहीं आरटीओकी भी भयानक गलतियां सामने आ रही है क्योंकि जब गाड़ियों को फिटनेस सर्टिफिकेट दिया जाता है तो नियम पूर्वक कार्रवाही नहीं होती मात्र कागजी खानपूर्ति कर सर्टिफिकेट जारी कर दिया जाता है और सभी बेफिक्र हो जाते है और बसे व वैन धड़ल्ले से बेपरवाह दौड़ती रहती है। जब कोई ऐसा दर्दनाक हादसा हो जाता है तब सुधार की बात की जाती है तो मेरा यहां यही सवाल है कि जब परिजन इतनी मोटी फीस देकर बच्चों को बड़े स्कूलों में भेज रहे तो बच्चे की सुरक्षा की पूरी जिम्मेदारी स्कूल प्रबंधन की होनी चाहिए लेकिन ऐसा होता नहीं है। स्कूल प्रबंधन पैसा तो हर चीज का वसूलते है लेकिन उस स्तर की सुविधाएं क्यो मुहैया नहीं कराते है। उनकी यह लापरवाही अभिभावकों पर भारी पड रही है उनकी गलती ने माता-पिता से उनके आंख के तारों को छीन लिया है जिसे कोई दोबारा उन्हें नहीं दे पाएंगा। स्कूल के खिलाफ भलेही कोई भी कार्रवाही हो जाएं लेकिन उससे न तो स्कूल बंद होगा न स्कूल की कमाई पर कोई फर्क पड़ेगा जिनका सब छिन न था छिन चुका । अब कोई भी कार्रवाही उन अभिभावकों को उनकी खुशियां नहीं लौटा सकती, लेकिन हां यहां अभी की सर्तकता आगे ऐसे हादसे होने से रोक सकती है। इस मामले में चैतरफा गलतियां उजागर हुई है और सुधार भी उसी स्तर का हो तभी उसका सकारात्मक असर नजर आएंगा। सड़क पर अनाड़ी भी गाड़ियां दौडा रहे है और कंडम गाड़िया भी दौड़ रही है। इस हादसे के पहले भोपाल के बैरागढ़ में एक दर्दनाक सड़क हादसा हुआ था, जिसमें एक नौसिखियां कार चालक ने स्कूल की बस का इंतजार कर रही दो मासूम छात्राओं पर गाड़ी चढ़ा दी थी, जिसमें एक की मौत हो गई थी और दूसरी घायल हो गई थी। इस मामले में भी आरटीओ की गलती सामने आई थी कि एक वह व्यक्ति कार चलाना सीख रहा था, जबकि उसके पास पहले से ही डाइविंग लाइसेंस था। इस तरह के व्यक्तियों को कैसे डाइविंग लाइसेंस जारी किया जा सकता है उस व्यक्ति की गलती ने एक मासूम की जिंदगी छीन ली। इसका मतलब लाइसंेस की उपयोगिता ही खत्म हो गई जिसे वाहन चलाना नहीं आता उसके पास लाइसेंस है और कई बिना लाइसेंस के ही वाहन धड़ल्ले से दौड़ा रहे है। लाइसेंसे की प्रक्रिया में बिचैलियों व पैसा लेकर लाइसेंस बनाने के कई मामले सामने आ चुके है । कई हादसे हो चुके है, लेकिन बावजूद इसके न तो प्रशासन न ही सरकार के कान पर जूं रेंग रही है। ऐसे में उन परिवारों के दुखों के लिए कौन जिम्मेदार होगा जिनके चिंरागों को इन सड़क हारसों ने छीन लिया ? बेलगाम व्यवस्था पर लगाम लगाना होगा ताकि अब ऐसे दर्दनाक हादसे न झेलेना पड़े। श्रद्धा अग्निहोत्री

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