Friday, April 24, 2020

क्या और तबाही लाएगा कोविड -19 ?

हाल ही में आएं विष्व स्वास्थ्य संगठन के बयान ने दुनिया को और डरा दिया है , जिसमें कोरोना के कहर के बढ़ने के आसार को लेकर चेताया गया है। दुनिया पहले से ही कोरोना से जंग लड़ रहीं है। अभी तक इस महामारी का कोई भी पुख्ता इलाज सामने नहीं आया है। भगवान भरोसे नई- नई विधाओं पर काम किया जा रहा है। दिल्ली में प्लाज्मा थैरेपी से कुछ बात बनती दिख रहीं हैै । हाल ही में एक मरीज को इससे फायदा हुआ जिसके बाद उसे वेंटिलेटर से हटा दिया गया है। वहीं दूसरी ओर राजस्थान में रैपिड टेस्ट किट के परिणाम गलत आने के बाद टेस्टिंग के लिए इनका प्रयोग फिलहाल रोक दिया गया है। हाल ही में स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा जारी की गई सूचना में यह कहा गया कि अब जो कोविड के केस सामने आ रहे है उनमें किसी प्रकार के लक्षण पीडि़त में उभर कर सामने नहीं आ पा रहे है। इस तरह के करीब 80 प्रतिषत मामले सामने आएं जिनमें पीडि़त को कोई परेषानी नहीं थी बावजूद इसके वह कोविड पॉजिटिव पाया गया। इस तरह के आंकड़े और डर पैदा कर रहे है आखिर इस वायरस की हद क्या है। जब कोरोना वायरस का प्रकोप षुरू हुआ था उस समय ऐसी बाते भी कहीं गई थी कि तापमान बढ़ने पर इसका असर षायद कम हो सकता है हालांकि इस बारे में कोई पुख्ता सबूत नहीं थे और ना ही है। लेकिन जिस तरह तापमान थोड़ा बढ़ा है इसके बाद इस वायरस के लक्षण भी बदल रहे है यानि अब यह साइलेंट होकर वार कर रहा है। सबकुछ पता होते हुए भी जब हम इस वायरस को पकड़ नहीं पा रहे थे तो अब जब यह साइलंेट वार करेगा तो सोचिए क्या हालात बनेंगे । वहीं विष्व स्वास्थ्य संगठन ने हालिया बयान भी डराने की ओर ही इषारा कर रहे है। तमाम परेषानियों से जूझते हुए संक्रमितों के बीच रह रहे हमारे स्वास्थ्यकर्मियों, सफाईकर्मियों , पुलिसकर्मियों के लिए यह और परेषान करने वाली स्थिति है। परेषानियों का सिलसिला थमने के बजाएं षायद बढ़ने की ओर इषारा कर रहा है। इस वायरस के चलते कहीं न कहीं पानी के उपयोग की अधिकता बढ़ी है। बार - बार हाथ धोना वहीं अब डर के चलते हम बाजार से लाई गई सब्जियों को भी पहले से अधिक बार धोते है। हालांकि स्वास्थ्य के लिहाज से हाथों की सफाई पर जोर देना अच्छा ही है। लेकिन गर्मियों में जलसंकट की समस्या हमारे देष में नई नहीं है। देषभर से गर्मियों के दौरान आने वाली जलसंकट की कई कहानियां हमने देखी और सुनी है। जिसमें कई - कई कोस चलकर महिलाएं पीने के पानी की जुगत करती देखती है। पानी के लिए जंग जैसे हालात भी बनते हुए हमने देखे है। जमीन में पानी की कमी होने से बोर , हेंडपंप आदि सूखने लगते है। उन हालातों में जब कई लोगों को पीने का पानी तक नसीब नहीं होता ऐसे हालातों में सोचिए ! कि क्या कोरोना से लड़ाई और मुष्किल नहीं हो जाएंगी। इस वक्त ऐसा लग रहा है मानो भगवान दुनिया की परीक्षा पर परीक्षा लिए जा रहीं है, लेकिन परीक्षा की इस घड़ी में हम सभी को अपनी जिम्मेदारी पूरी ईमानदारी से निभानी होगी । यदि हम अपने कर्त्तव्य पथ से नहीं डिगे और अपने कर्म ईमानदारी से करते रहे तो परीक्षा की यह घड़ी भी निकल जाएंगी और ईमानदारों पर प्रकृति भी मेहरबान होगी । विष्वास है। हम इस जंग से एकसाथ लड़कर जरूर जीतेंगे ।

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