Friday, April 24, 2020

चावल की बंपर आवक से बनेगा सेनेटाइजर ना कि भूखे को भोजन

देश में चावल की फसल जरूरत का तीन गुना उपलब्ध हैयानि जितने चावल की आवश्यकता है उसका तीन गुना चावल खाद्य भंडार मेंरखा है। सरकार इस अत्यधिक चावल से सेनेटाइजर बनाने की योजना बना रहीं है। दरअसल कोविड - 19 के चलतेदेशभर में सेनेजाइजर की मांग बढ़ गई है। घर, बाहर, दफ्तर सभी जगह सेनेटाइजर की आवश्यकता है। जिसके चलते सेनेटाइजर की काला बाजारी भी शुरू हो गई थी । इसकी मांग को देखते हुए सरकार ने चावल से सेनेटाइजर बनाने को मंजूरी देने की बात कह रहीं है। हालांकि यहां बुनियादी सवाल यह हैकि जहां लाखों लोगों को भोजन नसीब नहीं हो रहा है ऐसे हालातों में चावल का इस तरह दुरूपयोग करना कहा तक उचित है। सोचने वाली बात है कि हमने ऐसी कई तस्वीरे देखी जिनमें लाखों गरीबों के पास भोजन नहीं पहुंच रहा है। किसी के पास एक वक्त का भोजन पहुंच रहा है तो किसी कोपेटभर खाना नहीं मिल पा रहा है। कई मजदूरों के परिवार वाले भूखमरी की कगार पर पहुंच गए है। वहीं कई जगहों पर ऐसे हालात है कि मजदूर सुबह छह बजे से भोजन की लाइन में लग रहे है ताकि 12 बजे भोजन खुलने पर उनका नंबर जल्दी आ जाएं। 10 से 12 घंटे के इंतजार के बाद उन्हें एक वक्त का भोजन नसीब हो रहा है ऐसे हालातों में इन लोगों तक दोनों वक्त का भोजन पहुंचाने के बजाएं सरकार सेनेटाइजर बनाने पर विचार कर रहीं है। शर्म की बात है कि जिस देश में गरीब के पास खाने को नहीं है महामारी के ऐसे हालातों में भी सरकार को उस वर्ग की चिंता है जो सेनेटाइजर का उपयोग करती है ना कि उन गरीबों की जिन्हें एक वक्त का भरपेट भोजन तक नहीं मिल रहा और किसी - किसी को तो कई - कई दिनों तक भूखा रहना पड़ रहा है। हमने मजदूरों के पलायन की भयावह तस्वीर देखी है जिनमें हजारों किलोमीटर की यात्रा के लिए यह बेसहारा मजदूर पैदल ही निकल पड़े थे। इनमें से कितने अपने गंतव्य तक पहुंचे होंगे। बिना खाएं पिएं आखिर बेचारे कैसे अपनी मंजिल तक आसानी से पहुंच सकते है। वहीं अभी भी कई राज्यों में प्रवासी मजदूर फंसे हुए है। बीच - बीच मेंवे सड़कों पर आकर अपनी उपस्थिति का अहसास करा रहे है। पेट की आग तो बूझाना पड़ेगा दूसरे राज्यों में जैसे - तैसे दिन कांट रहे इन मजूदरों के लिए भोजन की व्यवस्था कराने के बजाएं सरकार चावल का उपयोग सेनेटाइजर के लिए करने जा रहीं है। रिजर्व बैंक की प्रेस कांफ्रेस में कहा गया कि देश में अनाज के भंडार भरे हुए है अनाज पर्याप्त मात्रा में है तो उन मजदूरों को संतुष्ट किया गया कि आपको भूखा नहीं रखा जाएगा लेकिन इनमें से कई भूखे रह रहे है ऐसे में सरकार को इस बुनियादी सवाल पर विचार करना चाहिए ताकि चावल का उपयोग सेनेटाइजर की बजाएं भूखों को भोजन देने में किया जाएं।

No comments:

Post a Comment