Monday, May 4, 2020

अतुलनीय, पूजनीय , प्रेरणास्त्रोत है प्रकृति

कोरोना के कहर के चलते दुनिया का बड़ा हिस्सा लाॅकडाॅउन है। जिसके चलते विषाणु उगलने वाले कारखाने बंद है। प्रकृति को हानि पहुंचाने और प्रकृति की गतिविधियों में हस्तक्षेप करने वाली इंसानी गतिविधियों पर रोक लगी हुई है। दुनिया के अलग - अलग हिस्सों में अलग - अलग अवधियों के लाॅकडाॅउन के चलते दुनियाभर में वायु , ध्वनि व जल प्रदूषण में कमी आई है। इसका प्रमाण स्वयं प्रकृति दे रहीं है। देष के सबसे प्रदूषित रहने वाले षहरो ंमें प्रदूषण का मानक स्तर संतोषजनक है। दुनिया भर की बड़ी नदियों का पानी स्वतः स्वच्छ हो गया है। नदियों व समुद्र के अंदर रहने वाले जीवों की दुनियां भी प्रसिद्ध फोटोग्राफर के कैमरे में कैद हो रहीं है। वहां की अदभुद दुनिया अब उपर से भी साफ नजर आ रहीं है । देष की प्रसिद्ध महानदी गंगा को साफ करने के लिए अब तक तमाम सरकारें करोड़ों रूपए बहा चुकी है लेकिन बावजूद इसके गंगा स्वच्छ व निरमल नहीं हो पाई। जो करोड़ों रूपए नहीं कर सकें वह लाॅकडाॅउन ने कर दिया यानि इसका सीधा सा मतलब है कि इंसानी गतिविधियों पर रोक ने प्रकृति को स्वयं में रहने का समय दिया और प्रकृति की षक्ति का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दुनियाभर में बड़ी नदियांे ने स्वयं को साफ कर लिया है। वायु प्रदूषण कम होने से आसमान साफ व स्वच्छ नजर आने लगा है। सिर्फ नदियां ही नहीं पषु, पक्षियांे और अनेक जीवों की हलचल भी तेज हो गई है। उन्हें भी अब आसमान अपना नजर आ रहा है। दुनिया में उनका भी हिस्सा है अब ये वे भी महसूस कर रहे है। मुंबई जैसे अतिव्यस्त षहर में पक्षियों की चहलकदमी के कई वीडियों वायरल हुए जिनमें उनकी खुषी साफ नजर आ रहीं है। यहीं नहीं हानिकारक धुएं की वायुमंडल में कमी होने के बाद ओजोन परत में दिखाई देने वाला छेद लुप्त हो गया है। ओजोन परत सूर्य से आने वाली पराबैगनी किरणों को पृथ्वी पर आने से रोकती है। यह किरणे प्रकृति सहित मानव जीवन के लिए घातक होती है। वैज्ञानिकों के लिए यह बड़े षोध विषय था कि अेाजोन परत को कैसे रिकवर किया जाएं । सोचिए इतनी वृहद समस्या हानिकारक धुंआ नहीं होने से स्वतः हल हो गई। प्रकृति में आ रहे इस सकारात्मक परिवर्तन पर विचार करना आवष्यक है। स्वयं पर आई विपत्ति को प्रकृति ने स्वतः हल कर लिया इसी से आप प्रकृति के षक्ति का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसलिए आवष्यक है कि हम प्रकृति पर बिना वजह अत्याचार करना बंद करें । प्रकृति निःस्वार्थ भाव से मनुष्य को अपना सर्वस्व अर्पण कर देती है। तो हमारा भी तो प्रकृति के प्रति कुछ कत्र्तव्य बनता है। हमें संभलना होगा प्रकृति पर व्यर्थ छिनने के बजाएं जितना आवष्यक हो उतना लें और उतना उसे देने का कत्र्तव्य भी निभाएं।

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